गुरुवार, मई 21, 2015

सत्य की महिमा



     सत्य, सत्य होता है ; सत्य अडिग होता है ! सत्य फुकट नही है, पर टूट सकता है| सत्य कभी पराजित नही हो सकता सत्य अपराजित होता है| विश्वास में ही सत्य की फलक होती है| सत्य ईश्वर का रूप होता है| सच्ची निष्ठां सजक श्रद्धा, सम्पूर्ण विश्वास की सुह्ढ़ नीवं पर ही सत्य का भवन खड़ा होता है| सत्य पर आरुद्ध रहने पर ही हम परम पिता परमात्मा के सानिध्य मे पहुँच कर इहलौकिक और पारलौकिक की अनुभूति प्राप्त कर सकते हैं| भारतीय संस्कृति में एसे अनेक चरित्र हैं जो सत्य पर अडिग रह कर अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकते है| अनेक एसी सन्तानें हुई जिसने सत्य का वरण किया और अपने जन्म दाता पिता का विरोद्ध किया अनेक ऐसी सन्तानें हैं जिन्होंने सत्य पर आरूढ़ रहने के कारण अपने जीवन को उत्सर्ग करनें में रंच मात्र हिचकिचाहट नहीं दिखाई| भक्त ध्रुव और प्रहलाद ऐसे पुत्र हुए हैं| जिन्होनें सत्य को स्वीकारते हुए अपने पिता की अवज्ञा की आज हिरण्य कशिपू और उत्तान पाद को कभी याद नहीं किया जाता , जबकि उनके पुत्र सत्याराधना के कारण समाज में पूज्य बने हुए है| यह महिमा सत्यव्रतधारण करने के कारण हुई| सत्य की महिमा अपरम्पार है| सत्यवद यह तात्विक उद्घोष हर ग्रन्थ में मिलेगा| इस हश्य माँ जगत में जो कुछ भी नहीं दिख रहा है वह सब सत्य ही है और सत्य के अतिरिक्त कुछ भी नही हैं सत्यान्वेषी रहकर हम व्यावहारिक रूप से काम कर सकें और सत्य के पक्षघर रहकर सक्रिय रहें तो हमारे कार्यों की सफलता को संदेह व्याप्त नहीं कर सकता| एक सत्य को कितने ही कितने ही आवरणों से क्यों न आवृत्त किया जाये पर सत्य की आभा को धुमिक नहीं किया जा सकता सत्य अपनी ओज से सदैव ओजस्वित बना रहेगा| सत्य को मनसा ,वाचा ,कर्मणा में व्यव्ह्त होना चाहिए| सत्य के लिए कहा गया है – ब्रह्न सत्यम| इस जगत का सृष्टिकर्ता, पालनकर्ता संहारकर्ता ब्रह्नही है जिसके लिये हमें  सत्य को धारण करना ही पड़ेगा | इस जगत का आधार ही ब्रह्न है और ब्रह्न ही सत्य है फिर हम सत्य से विमुख हो ही नही सकते| सत्य इसी जीवन का आधार बनें ,हम सत्य के अनुयायी बनें ,अपने आचरण में सत्य को ढालें ,तभी हम सत्य की महिमा और उसके प्रभाव को समझ सकेंगे|  

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