आज के
समय में व्यक्ति का सदाचारी होना आवश्यक है | तभी वह सामाजिक व
पारिवारिक दायित्वों का निर्वहन कर सकता है| यह देखा जाता है
सदाचारी होने मे कितनी बाधाएं आती है| इस कार्य मे स्वयं का तथा अन्य लोगो का स्वार्थ
आना सबसे बड़ी बाधा है| इमानदारी और जिम्मेदारी की ताकत से ही हम सदाचार
को संशक्तकर सकते हैं| सत्यपथ का मार्ग बड़ा कठिन है, इस पर चलकर मंजिल
पर पहुंचना जीवन की सबसे बड़ी सफलता होगी और तभी मानवता का उदेश्य पूरा होगा|
जीवन
मूल्य और आदर्शों को हम जितना अधिक से अधिक पालन करेंगे समाज में उतनी ही खुशहाली
व्याप्त होगी| तभी हम और हमारा समाज ख़ुशी और प्रगति करेगा|
एक और
बात ध्यान देने वाली यह है कि अपने जीवन के महत्व पूर्ण निर्णय सोच विचार कर लेने
चाहिए |
क्योंकि
भावुकता में कम बिगड़ जाता है और महत्व पूर्ण निर्णय गलत हो जाता है, जिससे जीवनभर
पछताना पड़ता है /इसके लिए विवेक का सहारा लेना चाहिए /साथ नकारात्मक विचार हमारी
प्रगति में बाधक हैं इनसे बचकर रहना ही हितकर होगा /ईमानदारी से हम जितना भी
परिष्कार कर सकें , करें अवसर मिला है /हमें यह शरीर पाकर एक-एक क्षण इसका
मुल्यांकन भली भांति करना है | ताकि समय निकल जाने पर पछताना न पड़े / प्राय: एसा
भी होता है की किसी कार्य की असफलता पर दोष दूसरे पर या ईश्वरपर मड देते है कि
प्रभु को एसा मंजूर नहीं था /अपनी कमियों की ओर ध्यान नहीं देते की गलती क्यों,
कैसे, कहाँ, हुई /व्यक्ति अपने गुणों के कारण ही याद किया जाता है /आदर्शों को जीवन
में आत्मसात करना कोई कठिन काम नही है /जरूरत है केवल समझदारी और ईमानदारी की / हम
कहीं जीवन मूल्यों की ओर उदासीन होकर उन्हें नजर अंदाज कर देते हैं ,जिसका
दुष्परिणाम हमें ही भुग्दना पड़ता है /आचरण से ही हमारे विचार बनते है /अत: हमें
विचारों में उत्क्रष्टता लाने के लिए सदाचार का पालन करना ही होगा /
हमें
अपने सोच और विचारों को कर्म के जोड़ना होगा जीवन मूल्य और आदर्शों का चरित्र से
सीधा सम्बन्ध है /वास्तविक जीवन मे चरित्रवान ही सदाचारी हो सकता है सही अर्थो मे
चरित्र ही हमारी पूंजी है /
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें