गुरुवार, मई 21, 2015

मानव जीवन

मनुष्यअपने जीवन को सफल बनाने की कोशिश में लगा रहता है / सफल मानव जीवन किसे कहेंगे,किस रास्ते पर चलकर यह सफल कहलायेगा / भौतिक जीवन भौतिकता में ही सिमिट जाता है /धन, एश्वर्य, लालच , क्रोध, अहंकार अपनी अपनी और खीचतें हैं / चोर चोरी करके अपनेओ सफल समझता है /वैभव के पीछे दौड़ लगाने वाले वैभवशाली बन कर अपने को धन्य समझतेहैं / राजनीतिज्ञ अपने शिखर पर पहुँचना ही सफलता समझता है / संगीतकार, चित्रकार,नाटककार, लेखक, कवि, अपने अपने शिखर पर पहुँच कर अपने को सफल समझते हैं /क्या सफलमानव का सच यही हैं ? तो म्रत्यु क्या है ? उसे यहीं पर मोक्ष मिल जाना चाहिए /परइन व्यवस्थाओं की सीमाओं पर पहुँच मनुष्य इसे छोड़ने को विवश क्यों हो जाता है /परन्तु इसके करने से मनुष्य छुटकारा नहीं पा सकता न प्रभु मिलन का मार्ग प्रशस्त्रहोगा / मनुष्य को विश्वास होना चाहिए कि प्रभु हर परिस्थिति में हमारी रक्षाकरेंगे /इस विषय में सोचना ठीक नही कि जीवन निर्वाह कैसे होगा /

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