ऋषि –मुनियों ,विव्दानों तथा वरिष्ठ जनों
का जीवन समष्टि के लिए समर्पित होता है| ये
परोपकारी , सह्रदय ,विनयशील एंव सत्यवादी होते हैं| उनके
वचनों में इतना बल होता है कि उनके वचन के अनुसार ही कार्य में सफलता मिल जाती है| उनके इस कथन एंव संकेत मात्र को ही आशीर्वाद कहते हैं| वे अपने ज्ञान एंव अनुभव के आधार पर ही आशीर्वाद
प्रदान करते हैं|
ऐसे महानुभावों
द्वारा सर पर हाथ रखने से सहज ही विश्वास हो जाता है| इससे आशीर्वाद प्राप्त करने वाले व्यक्ति
को प्रोत्साहन ,आत्म बल तथा उर्जा का संरक्षण होता है| उसे अपनी राह पर आगे बढ़ने तथा मंजिल
प्राप्त कर के अन्य मंजिल की योजना ,तैयार करने की इच्छा शक्ति पैदा होती है| आशीर्वाद देने वाले महापुरुष हैं| मन और वचन से वे सबकी भलाई चाहते हैं| उनको किसी से व्यक्तिगत लाभ नही उठाना हैं| यही कारण है की उनका शक्तिशाली मस्तिष्क
प्रबल विचार तरंगे प्रसारित करता है| वे
सभी के हित मे शुभकल्पना ही करते है| वे कल्पनाएँ कर्मठ व्यक्ति की लगन
,निष्ठा एंव परिश्रम के कारण फलीभूत होता है |
आशीर्वाद से मन की पवित्रता , शुभचिंतन के
कारण व्यक्ति का मनोबल हढता के साथ बना रहता है| जिसका
मन पवित्र विचारो के कारण अविभूत होगा / वह सर्वत्र प्रकाश ही प्रकाश प्रकाशित करेगा| उसके आशा एंव विश्वास में सतत वृद्धि होती
रहेगी| आशीर्वाद पाकर हमारा अंत – ह्रदय प्रसन्नता
से ओत-प्रोत रहता है| हमारा सुप्त आत्म
विश्वास जाग्रत हो जाता है| आशीर्वाद
श्रम ,लगन ,निष्ठा एंव विनयशीलता के परिणाम स्वरूप ही प्राप्त होता है| विनाश से बचने के लिए अहंकार से दूर रहना
अति आवश्यक है| अहंकार उभरने के लिए तन का सुंदर एंव
शक्तिशाली होना एक कारण हो सकता है| मान,
सम्मान , सुख ,सम्पन्नता , भौतिक सामग्री की प्रचुर –उपलब्धता ,एंव किसी व्यक्ति
की प्रशंसा भी अहंकार के कारण हो सकते हैं| जिस
प्रकार लोहे का कवच मानव शरीर की रक्षा करता है उसी प्रकार आशीर्वाद एक गुप्त
मानसिक कवच है| आशीर्वाद हमें शक्ति का सही दिशा मे उपयोग
करना सिखाता है |
आशीर्वाद हमारी शक्ति का छिपा केन्द्र है
!
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