गुरुवार, मई 21, 2015

शिष्टाचार


  विनम्रता एंव शिष्टाचार अंत:करण की अभिव्यक्ति है शिष्टाचार सुसंस्कृत व्यक्तित्व का परिचायक है | शिष्टाचार का मूलमंत्र हैअपनी नम्रता और दूसरों का सम्मान |

इस भाव का धनी व्यक्ति ही सभ्य और सुसंस्कारी माना जाता है| शिष्टाचार सर्वत्र सम्मानित होता है और अनायास ही अपने विश्वास एंव विनम्र व्यक्तित्व की छाप दूसरों पर छोड़ता है| विनम्रता मनुष्य का सर्वोपरि अलंकार है /बड़ों का आशीर्वाद एंव श्रद्धा सम्मान मनुष्य की आयु , विद्दा ,यश एंव बल की अभिवृद्धि करता है| छोटों के प्रति स्नेहहिल स्वर में शुभाशीष और बराबर बालों का प्रेम पूर्ण अभिवादन ,शिष्टाचार के सही मूल मन्त्र हैं| जीवन का विकास क्रम ,उन्नतिअवनति , मानअपमान ,का बहुत कुछ आधार व्यक्ति की शिष्टता एंव शालीनता पर निर्भर कर्ता है| उदंड , उश्रखल , अशिष्ट व्यक्ति व्यवहार से वैयक्तिक एंव सामाजिक दोनों के ही विकास के मार्ग अवरुद्ध होते हैं | इसके विपरीत जो सभ्य , शिष्ट , उदात होते हैं व्यावहारिक कला मे  दक्ष होता हैं |


व्यक्तिगत जीवन या समाजगत जीवन प्रत्येक क्षेत्र में प्रगति स्थिरता एंव सुखशांति ,परस्पर स्नेह , सदभाव के आधार पर ही अवलम्वित है | अत: इस तथ्य के मर्मज्ञ , मनीषी एंव विद्वानों की मान्यता है कि व्यवहार सदैव विनम्र एंव शालीन होना चाहिए| चारों ओर मधुरता ,सादगी , सज्जगता का वातावरण , उत्पन्न करना चाहिए दूसरों के लिए वैसा व्यवहार करें ,जैसा हम अपने लिए नहीं चाहिए / इसी तथ्य को शिष्टाचार , सभ्यता एंव नागरिकता के नाम से जाना जाता है | जिसमें यह भावना जितनी अधिक होगी ,वह उतना ही शिष्ट ,सभ्य ओए शालीन माना जाएगा / जीवन विद्या का धनी व्यक्ति विनम्र होता है | विद्या को जहाँ विनम्रता की जननी माना जाता है वहीं विनम्रता को व्यक्ति संवारने वाली सहयोगिनी कहा गया है | विनय से मिलकर व्यक्तित्व मूल्यवान हो जाता है |

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